अन्ना ने उन लोगों की सोच को बदल डाला है जिनका मानना था की अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता...देखिए अन्ना का...अकेले शुरु की थी उन्होनें भ्रष्ट्राचार के खिलाफ अपनी मुहिम...शुरु की थी अकेले लेकिन काफिला इतना बढ़ गया की सरकार बार बार अपने नीतियों में फेर बदल करने पर मजबूर हो गई... सरकार ने पहले अन्ना के अनशन को अनदेखा किया, उन्हे भ्रष्टाचारी बताया,जेल में कैदियों के बीच रखा, लेकिन 24 घंटे के भीतर ही उसी अकेले चने की ताकत का ऐहसास हो गया...पल पल सरकारी बयान बदलने लगे, अन्ना की शर्तों को माना जाने लगा...और तो और पूरी सुरक्षा के साथ साथ अनशन की मन मुताबिक जगह भी देनी पड़ी...
ज्यादातर लोगों को अन्ना का जनलोक पाल बिल समझ में नहीं आ रहा है लेकिन बिल की एक ख़ास बात बच्चे-बच्चे को मालूम है भष्टाचार... और यही दर्द उनके दिल में नासूर बन गया है जिसे निजात पाने के लिए अन्ना का सहारा मिल रहा है और वो शामिल हो रहे हैं अन्ना के समर्थन में...जहां एक तरफ अन्ना का अंशन ज़ोर पकड़ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सरकार को समझ में नहीं आ रहा है कि अब वो क्या करेगी...क्या लेगी वो अगला कदम... क्योंकि वो अच्छी तरह जानती है की देश के लोगों के सामने क्या विदेशों में भी उसकी छीछा लेदर हो चुकी है...हालांकी सरकार में अभी भी कुछ चेहरे ऐसे हैं जो बेशर्मों की तरह इज्तत उतरने के बाद भी मुस्कुराए जा रहे हैं...क्या करें...इसके अलावा अन्ना ने कोई चारा छोड़ा ही नहीं है.....
देश भर में अन्ना की जयजयकार हो रही है और सरकार की आलोचना...वैसे जिस शब्द के लिए इतना सब कुछ हो रहा है वो शब्द बहुत ही छोटा है भष्ट्राचार...लेकिन इसके मायने ठीक उतने ही खतरनाक हैं जितने किसे पेड़ के लिए दीमक...चपरासी से लेकर बाबू और बाबू साहब से लेकर प्यारे नेता जी हर कोई इसके मायने अच्छे से जानता हैं...अब देखिए ना जिस गांधी जी के विचारों को अन्ना अपनी विचारधारा से जोड़ते हैं वहीं गांधी जी हरी पत्ती पर लगने के बाद बड़े से बड़े लोगों की नियत चंद मिनटों में खराब कर देते हैं । खैर... जितनी गर्म जोशी के साथ अन्ना का ये आन्दोलन शुरु हुआ है अगर उतनी ही गर्मी इस आन्दलन में बरकरार रही और सरकार को लोकपाल बिल के आगे अपनी नाक रगड़नी पड़ी तो वो दिन भी दूर नहीं जब लोग सिर्फ भष्टाचार जैसे राक्षस शब्द को किताबों या शब्दकोष में ही पढ़ेगे और ये देश भष्ट और भष्ट्राचोरी दोनों से ही हमेशा हमेशा के लिए दूर रहेगा ।
जय हिन्द
रुचि राय
ज्यादातर लोगों को अन्ना का जनलोक पाल बिल समझ में नहीं आ रहा है लेकिन बिल की एक ख़ास बात बच्चे-बच्चे को मालूम है भष्टाचार... और यही दर्द उनके दिल में नासूर बन गया है जिसे निजात पाने के लिए अन्ना का सहारा मिल रहा है और वो शामिल हो रहे हैं अन्ना के समर्थन में...जहां एक तरफ अन्ना का अंशन ज़ोर पकड़ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सरकार को समझ में नहीं आ रहा है कि अब वो क्या करेगी...क्या लेगी वो अगला कदम... क्योंकि वो अच्छी तरह जानती है की देश के लोगों के सामने क्या विदेशों में भी उसकी छीछा लेदर हो चुकी है...हालांकी सरकार में अभी भी कुछ चेहरे ऐसे हैं जो बेशर्मों की तरह इज्तत उतरने के बाद भी मुस्कुराए जा रहे हैं...क्या करें...इसके अलावा अन्ना ने कोई चारा छोड़ा ही नहीं है.....
देश भर में अन्ना की जयजयकार हो रही है और सरकार की आलोचना...वैसे जिस शब्द के लिए इतना सब कुछ हो रहा है वो शब्द बहुत ही छोटा है भष्ट्राचार...लेकिन इसके मायने ठीक उतने ही खतरनाक हैं जितने किसे पेड़ के लिए दीमक...चपरासी से लेकर बाबू और बाबू साहब से लेकर प्यारे नेता जी हर कोई इसके मायने अच्छे से जानता हैं...अब देखिए ना जिस गांधी जी के विचारों को अन्ना अपनी विचारधारा से जोड़ते हैं वहीं गांधी जी हरी पत्ती पर लगने के बाद बड़े से बड़े लोगों की नियत चंद मिनटों में खराब कर देते हैं । खैर... जितनी गर्म जोशी के साथ अन्ना का ये आन्दोलन शुरु हुआ है अगर उतनी ही गर्मी इस आन्दलन में बरकरार रही और सरकार को लोकपाल बिल के आगे अपनी नाक रगड़नी पड़ी तो वो दिन भी दूर नहीं जब लोग सिर्फ भष्टाचार जैसे राक्षस शब्द को किताबों या शब्दकोष में ही पढ़ेगे और ये देश भष्ट और भष्ट्राचोरी दोनों से ही हमेशा हमेशा के लिए दूर रहेगा ।
जय हिन्द
रुचि राय
wah kya likha hai
जवाब देंहटाएंjaideep
Bahut achchha likha hai Ruchi tumne..lagta hai aap par Anna Ka kafi parbhaw pada hai..kafi samarthak bhi dekh rahi hai aap..waise bhi agar hum unity maintain nahi karenge to humara desh kbhi bhi aage nahi bad payega...weldone Ruchi.
जवाब देंहटाएंbhai maan gaya...Isee kahte hai Gahraii...Kai baar hota hai ki cheeze hamare samne hoti hai likein hum usse nazarnadaz kar dete hai...jo baate hum samne rakhna chahte tha..woh sab baatein easy shabdo mai ruchi ne likh di....Toooo Gooooood YAAR....UR THOUGHTS ARE QUITE IMPRESSIVE....
जवाब देंहटाएंhaan aap bilkul ruchi ji humare desh mein bhastachar mitane ka jo anna ji ne vikalp nikala hai wo bilkul sahi hai kyo ki hum sab mein ek na ek bharast insan basta hai hum har chiz mein suvida chahte hain aur khudh hi jaldi se kam bnane ke liyeh risshavat bhi dete hain .... is bill ke baad hum khud rishwat nahi denge... jai hind jai anna ..bharat mata ki jai , anna hum aap ke saath hain .
जवाब देंहटाएंवाह रुचि जी क्या लिखा है आपने...सच में ऐसी ही है हमारी सरकार...जो यहां से वहां सब कुछ सरकाती रहती है... और आम जनता से भागती रहती है...आप ऐसे ही लिखते रहना और हम सभी को सच्चाई से रुबरु करवाते रहना...
जवाब देंहटाएंjan lokpal or lokpal ka sach shayad hee sabko malul ho, lekin haa bharashtachar se sabhi pareshan hai, tabhi to Sarkar ki soch se alag pura desh ek sath aage aa khadda hua....i am Anna....
जवाब देंहटाएंHa ruchi ji apne bilkul theek likha hai.Anna ji ne jo muhim suru ki hai wo bhrashtachar ko jarur khatm kar degi bus jarurat hai janlokpal bil aane tak Anna ji ka support karne ki...Jeet jayenge Hum agar aap sabhi sath hai... mai anna tum anna
जवाब देंहटाएं