सोमवार, 1 जुलाई 2019

“ख़बर” जिसके कोई मायने नहीं


लगता है हमारा देश अपनी तमाम परेशानियों से बाहर आ चुका है! देश के अंदर कोई समस्या नहीं बची तभी तो कोई एक अदाकारा अपने काम को करने या ना करने की बात करती है और उस पर तमाम मीडिया, मौलवी, संत, विचारक अपनी अपनी प्रतिक्रिया रखने लगते हैं, चैनलों को दिनभर की अपनी खुराक मिल जाती है, चैनलों पर आए पैनेलिस्टों को चेहरा चमकानें और सुर्खियों में रहने का मौक़ा और तमाम ख़ाली बैठे लोंगो को विचारक बनने का मौक़ा.. अजी ज़ायरा काम करने या ना करे उससे देश की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा ना ही उससे आपकी और मेरी पॉकेट पर कोई असर होने वाला है... कोई अपने धर्म का हवाला देकर अपनी निजी ज़िदगी का फ़ैसल ले उससे आपका या मेरा कोई सरोकार नहीं होना चाहिए जब तक उससे देश, समाज की आंतरिक चीज़ों पर उसका असर ना पड़े, तो मेरी आपसे ये गुज़ारिश है की आप इस तरह के उलजलुल चीज़ों पर ध्यान देकर इसे बेवजह की इम्पॉर्ट्ंस ना दें। देश में ऐसी कई भयावह समस्याएँ हैं जिन्हें आपकी और मेरी ध्यान की आवश्यकता है... जय हिंद

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