अब साथ भी उनका रहे या न रहे
चलना है मुझे वो चले या न चले
पूछो अभी उससे बहारों का पता
यूँ रू-ब-रू फिर वो रहे या न रहे
तुम आज जी भर के सीसकने दो मुझे
कल क्या पता ये ग़म रहे या न रहे
हम तो कहेंगे जो भी कहना हैं हम
उसकी है मरज़ी वो सुने या न सुने
मुझे मेरी बस राह आ जाए नज़र
ये रात चाहे फिर ढले या न ढले
है ज़िंदगी का अर्थ ही चलना
राह मिल गई मंज़िल मिले या न मिले
bahut khub
जवाब देंहटाएंLajawaab rachna hai..........
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना है!
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1. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
2. चाँद, बादल और शाम
है ज़िंदगी का अर्थ ही चलना
जवाब देंहटाएंराह मिल गई मंज़िल मिले या न मिले
बहुत सुन्दर सकारात्मक अभिव्यक्ति है आभार और बधाई
bahut khoob
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachana
है ज़िंदगी का अर्थ ही चलना
जवाब देंहटाएंराह मिल गई मंज़िल मिले या न मिले
bahut hi sundar rachana.......badhiya
सुंदर रचना !!
जवाब देंहटाएंawesome poem...express all d pain of Love...
जवाब देंहटाएंज़िंदगी का अर्थ ही चलना
जवाब देंहटाएंराह मिल गई मंज़िल मिले या न मिले
सुंदर रचना...
चलना है मुझे वो चले या न चले
जवाब देंहटाएंहै ज़िंदगी का अर्थ ही चलना
राह मिल गई मंज़िल मिले या न मिले...
वाकई में जीवन की यही सच्चाई है लेकिन अगर राह सही पकड़ी हो तो मंजिल जरूर कदमो में ही होती है...........
सुन्दर रचना......