शनिवार, 27 अगस्त 2011

''अन्ना के बहाने लोगों को याद आई मातृ भूमि''

अन्ना के बहाने लोगों को याद आई मातृ भूमि

अन्ना ने भष्ट्राचार के खिलाफ मुहिम क्या शुरु की, हर किसी को मातृ भूमि की याद आ गई नहीं तो पहले देश और भारत माता सिर्फ 26 जनवरी ,15 अगस्त, जैसी दिनों पर ही याद किए जाते थे । पहले सिर्फ इन दिनों पर तिरंगे देखने को मिलते थे और वो सिर्फ एक्के दूक्के...नहीं तो नेट, टीवी या सिर्फ अखबारों में ही तिरंगे की तस्वीर नज़र आती थी और ... लेकिन अन्ना ने अपने जनलोकपाल बिल से वजह से हर किसी को हिन्दुस्तानी होने का दूबारा से एहसास करवाया है... और साथ ही लोगो को ये भी जताने में अपना पूरा सहयोग दिया है की ये देश किसे के बाप की बपौती नहीं है ये देश हमारा है और इसके लिए हमे खुद ही आगे आना होगा...इतना ही नहीं अन्ना के इस आवाहन के बाद हमे देश सिर्फ देशभक्ति के गानों और फिल्मों के ज़रिए ही नहीं बल्कि अनशन से पता लग चुका है और हम सभी की सोती हुई आत्माएं जाग जुकी हैं तो अब अपने देश के लिए जागरुक हो चुकी हैं.. ये अन्ना का ही तो असर है जो अब हर कहीं ट्रकों,बसों, मैट्रो, और तो और सड़कों ,और गलियों में भी ज्यादा से ज्याद लोग हाथों में झंड़ा लिए भारत माता की जय , वन्दे मातरम के नारे लगाते नज़र आ रहे हैं...

जहां इन सब में सभी देशवासियों का सहयोग काबिले तारीफ है तो वहीं दिल्ली वालों की भी तारीफ सबसे ज्यादा होनी चाहिए...मैं ये इस लिए नहीं कह रही हूं की मैं दिल्ली में रहती हूं...बल्कि इस लिए क्योंकी दिल्ली के लिए लोगों की यही छवि रही है की दिल्ली में सभी लोग काफी प्रोफेशनल हैं और यहां लोग सिर्फ अपने काम से काम रखते हैं उनकी नज़र में अगर आप कोई कदम उठाते हैं तो ये आप का अपना व्यक्तिगत सोच ये वो आप से कोई तालुक नहीं रखेंगे ऐसे में दिल्ली में ज्यादा से ज्यादा लोग अपने घरों से निकल कर मैं अन्ना हूं , और अन्ना तुम आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ का नारा लगा रहे हैं और रामलीला मैदान में अपनी एकता का सबूत दे रहे हैं ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है ।

ये मातभूमि और देश के लिए प्यार ही तो है जो लोग अपने दफ्तरों से छुट्टी लेकर एकता का सबूत दे रहे हैं और जो लोग दफ्तर से छुट्टी नहीं ले पा रहे हैं वो काम पूरा करेन के बाद वहां हाजिरी दे रहे हैं...कुछ ऐसे ही लोगों से मेरी मुलाकात हुई...वो 10 लोग थे... ये दस के दस लोग अलग अलग कॉल सेंटर कम्पनी में काम करते हैं..जिनकी रात की शिफ्ट होती है जिसे वो पूरा करने के बाद सुबह अन्ना के समर्थन में रामलीला मैदान इक्ठे होते हैं... अब आप इसी क्या कहेंगे...ये अन्ना के जरिए दिलों में देशभक्ति की जलाई जानी वाली उसी आग की लौ है जिसकी वजह से लोग एक होकर देश के लिए कुछ कर गुज़रने की तमन्ना रख रहे हैं । ऐसे एक नहीं कही उदाहरण हैं जिनसे सोए हुए हिन्दुस्तानी के जागने के बारे में बयां करता है...और ये याद दिलाता है की हम हिन्दुस्तानी हैं और ये धरती और ये देश हमारी मां जो त्याग और बलिदान से सीची गई है..जिसके खिलाफ ना तो अब हम कुछ सोचेंगे और ना ही किसी को इसके खिलाफ कुछ करने देंगे ।

2 टिप्‍पणियां:

  1. Yes Ruchi ji jis azadi ki ladai ko hum kitabo me padte the wo aaj hamare aankho ke samne ho rha hai. Kyuki azadi ki is dudre ladai me bhi pura desh ek sath khada hai. Wo jajba wo pyar desh ke liye kuch kar gujarne ki tamanna aaj fir Anna ji ne har ek dil me jaga diya hai....
    Lokpal bil parit ho yehi har ek Anna ka akhiri nisha hoga...Jai Hind

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  2. ऐसी लेखनी का नमूना काफी वक्त के बाद पढ़ने को मिला..अच्छा लगा..जिसमें ताजगी और निर्मलता की महक आई...इस लेख को पढ़ने से ये तो एहसास हो जाता है कि बढ़ी ही गहराई और बारिकी से
    समझा और शब्दों में पिरोया गया है...धन्यवाद

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