सोमवार, 29 अगस्त 2011

उदास दिल की दास्तां...

आज फिर दिल उदास है , अन बुझी सी प्यास है

मन कहीं लगता नहीं , मानो डूब रहा संसार है


ये इश्क की है कोई नई खासियत , या पुरानी कोई तलाश है

दर ब दर भट रहे हैं , तेरी एक झलक पाने की आस है


बेहरुपिए संसार में बस तेरा ही साथ है ,रंग दे हमें अपने रंग में मिल जाने दे रुह को रुह के पाश में,

क्योंकी

आज दिल बहुत उदास है और अन बुझी सी प्यार है ।



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