ये है हमारे देश की असल सच्चाई । तस्वीर में साफ है सरकार को अपनी जनता की कितनी परवाह है, सरकार अपना सुख -चैन भूलकर आम जनता के बारे में कितना सोच विचार कर रही है...
जनता की सेवा में लगे राजनेताओं को जनता से इतना वक्त भी नहीं मिलता की वो बेचारे अपने बारे में सोच पाए...देखिए ना इन्हें तो सेवा के आगे अपनी भूख का भी एहसास नहीं हो रहा है और ना ही इनके पास इतना वक्त है की ये बेचारे जनसेवक अपने हाथों से खा भी पाए... जनता को ही इन्हें देखकर याद आता है की इन्हें भूख लगी है, फिर क्या भला नेताजी जनता के आगे से निवाला छीनने से पीछे कैसे रह सकते हैं,कभी निवाला हथिया लिया जाता है तो कभी आंसूओं से आंखे गीली करके अपना लिया जाता है...और वैसे भी बेचारी जनता के पास देने के अलावा कोई दूसरा चारा भी तो नहीं है... उसे देना ज़रुरी है और लेने वाले भी लगभग एक जैसे ही हैं ... अब ऐसी परिस्तिथि में भला वो करे भी तो क्या... अजी यही नहीं... इस लेन देन के चक्कर में नेता जी अगर मुस्कुराकर शुक्रिया भी बोले तो भला हो... अजी वो और उनके लोग तो कभी भी भड़क पड़ते हैं और तो और अपना गुस्सा ज़ाहिर करने के लिए ना जाने कब धमकी दे दें और ना जाने कब हाथों की उंगुलियों का इशारा कर दें , पता ही नहीं चलता की वो कैसे उस उंगुली को लोगों की तरह दिखा सकते हैं जिस उंगली पर लगी स्याही की बदौलत वो और उनके लोग जीत कर आए हैं। कितना अच्छा होता की अगर इस तस्वीर में दोनों बैठे लोगों की जगहें बदल जातीं...काश जन सेवक सच में अपनी जनता का ख्याल रखते...तो कभी सोने की चिड़िया काहा जाने वाला देश सिर्फ कहा नहीं जाता बल्कि सच में एक बार फिर से सोने की चिड़िया ही होता, काश अगर ये तस्वीर बदल जाती तो आज हमारा देश किसी भी बड़े देश से 20 साल पीछे नहीं होता और ना ही हम लोग बचपन से किताबों में देश को विकासशील देश के तौर पर जानते... लेकिन ना जाने ये काश शब्द ही कब बदलेगा ???
बहुत ही उंदा है....आपके शब्दों ने बिना बोले ही बहुत कुछ बयां कर दिया...आपने तो देश की सच्चाई को कुछ इस तरह से बयां किया है की अब हमें दुख की हालत देखकर ज्यादा दुख हो रहा है....:)
जवाब देंहटाएंbilkul sahi likha tumne...sach mein aaj ki date mein janta ke sevak hi raja ban aee hai aur janta inki gulam...
जवाब देंहटाएंgud one
जवाब देंहटाएंbahut acha likha hai, lagta hai ki aaj kal kuch zayada hi news dekh rhi ho, journalist logon ki hi wajah se abhi tak sachai zinda hai, wese koi kuch bhi bole humare neta logon ko iss seee koi farakh nahi padhta, , ager asar hota too wakai mein hum loog developed hote na ki developing...keep it up.
जवाब देंहटाएंदोस्त तुमने बहुत खूब लिखा है रही बात इन बेशर्म नेताओं की तो इनका वाकई कुछ नहीं हो सकता क्योंकि सबकुछ तो इन बेशर्मों की जेब में है फिर आपके ये विचार पढ़ कर बहुत अच्छा लगा इसके लिए तहे दिल से आपका शुक्रिया
जवाब देंहटाएंgud one
जवाब देंहटाएंCha gaye...madam.. I like it..The satirical approach..
जवाब देंहटाएंaap ne mere iss post ko sraha iske liyeh bahut bahut sukriya pankaj ji
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